अलवर 02 दिसंबर (वार्ता): राजस्थान के अलवर में गत दिनों हुई तीन दिनी बारिश ने किसानों की प्याज की फसल को बर्बाद कर दिया जिसमें करीब 50 फ़ीसदी खराबा होने के कारण किसानों की पैदावार की लागत भी नहीं निकल पा रही है। किसान कर्जदार बन गया है।
अलवर में किसानों को कई करोड़ का नुकसान हुआ है। यूं तो अलवर की प्याज खरीदने के लिए देशभर के व्यापारी अलवर आ रहे हैं लेकिन बरसात के कारण खराब हुई गुणवत्ता को लेकर उन व्यापारियों में काफी संशय है कि अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचने पर प्याज कहीं खराब नहीं हो जाए क्योंकि बारिश के कारण अगेती प्याज में गलन रोग हो गया है जिससे प्याज ज्यादा समय तक नहीं ठहर पा रही है।
अलवर जिले में जहां प्याज का बुवाई का रकबा बढ़ा है लेकिन इस बार पैदावार कम है विगत साल भी प्याज में जलेबी रोग लग गया था जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार गलन रोग होने से फिर किसान चिंतित हैं।
एक बीघा प्याज को बोने में करीब 45 से 50 हजार रुपए की लागत आती है लेकिन इस साल यह लागत भी नहीं निकल रही है और 20 25000 रुपए के हिसाब से ही प्याज के भाव आ रहे हैं। जिससे किसानों को सीधा 50 फ़ीसदी तक नुकसान है। प्याज के नुकसान के कारण इस साल स्पेशल ट्रेन चलने में भी संशय है। इस वक्त मंडी में एक लाख कट्टे रोज की आवक थी जो इन दिनों करीब तीस हजार कट्टे ही प्याज आ रही है।
नासिक से आए प्याज व्यापारी मिथूसर ने बताया की नासिक में प्याज की फसल लेट है इसलिए अलवर में प्याज खरीदने आए हैं ।नासिक में 15 दिसंबर के बाद ही प्याज की फसल आ पाएगी।
फल सब्जी मंडी यूनियन के अध्यक्ष देवेंद्र छाबड़ा ने बताया कि इस साल प्याज की आवक कम है। बेमौसम की बारिश से काफी नुकसान हुआ है। किसानों के पैदावार में भी वह क्वालिटी नहीं है जिससे किसानों, आढ़तियो को और व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ है। जहां एक बीघा खेत में 100000 कट्टे पैदा होते थे वहीं इस साल 25 से 30,000 कट्टे ही पैदा हो रहे हैं।
सब्जी मंडी यूनियन के पूर्व अध्यक्ष पप्पू भाई प्रधान ने बताया कि अलवर की प्याज का इसलिए डिमांड रहती है क्योंकि अलवर की प्याज में जाएका है और अच्छी क्वालिटी मिलती है। व्यापारी खुली बोली से माल खरीदता है और भारत के 16 राज्यों में इसकी डिमांड रहती है लेकिन 3 दिन की लगातार बारिश ने यहां की प्याज की क्वालिटी को बिगाड़ दिया।
पिछले साल की तुलना में 50 फ़ीसदी प्याज का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि जो प्याज की खेती पिछेती बोई गई है, हो सकता है 10 दिन बाद उसमें प्याज की क्वालिटी अच्छी आए। पहले प्याज के लिए ट्रेन बुक कराई गई थी। उन्होंने कहा कि ट्रेन तो बुक करा दी गई है लेकिन प्याज की क्वालिटी और पैदावार को देखते हुए ट्रेन से ब्याज बाहर भेजना असंभव सा है। लेकिन उन्होंने बताया कि 10 दिन बाद अगर प्याज की क्वालिटी और पैदावार सही आई तो ट्रेन से माल भेजा जा सकता है।
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