Jain community, रांची, 02 जनवरी (वार्ता) : भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राज्यसभा सदस्य महेश पोद्दार ने कहा कि पहली जनवरी को पूरी दुनिया के साथ भारत के लोग भी पिकनिक की मस्ती में डूबे थे लेकिन भारत का एक बेहद छोटा अल्पसंख्यक जैन समुदाय अपनी धार्मिक पहचान के लिए सड़कों पर उतरा था। पोद्दार ने आज यहां कहा कि जैन समुदाय ने अपनी आवाज झारखंड सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की।
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पता नहीं, कितने लोगों ने उनकी पीड़ा महसूस की। कितनों ने उनके साथ आवाज मिलाई। हर बात में हक की बात करने वाले मुखर लोगों ने उनका कितना साथ दिया, यह भी नहीं मालूम।सर्व धर्म समभाव की परंपरा वाले देश के इस छोटे अल्पसंख्यक जैन समुदाय की बात अनसुनी होना दुखद है। उस देश में, जो सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास की नीति पर चल रहा है। पोद्दार ने कहा कि जैन धर्म भारत की एक अद्भुत धार्मिक सांस्कृतिक विरासत है। इसके मूल में अहिंसा और त्याग है। हजारों वर्षों बाद भी जैन धर्म प्रासंगिक है।
इसे करोड़ों लोगों ने अपनाया है। इस धर्म का विस्तार कभी जोर जबरदस्ती नहीं किया गया। किसी शासन का भय नहीं था। कोई लालच भी नहीं दिया गया। इस वर्ग को अल्पसंख्यक दर्जा मिला है। लेकिन यह भी तथ्य है कि हिंदू धर्म से इनका कोई विरोध नहीं, बल्कि रोटी बेटी का रिश्ता है। यह हमारा सामूहिक दायित्व है की जैन समुदाय को समुचित संरक्षण और प्रोत्साहन दिया जाए। हम झारखंड वासियों को इस पर खास गर्व होना चाहिए क्योंकि इनका सबसे बड़ा और आराध्य स्थल गिरिडीह के पारसनाथ में समवेत शिखर पर है। कल्पना करें कि हजारों वर्ष पूर्व कैसे जैन मुनियों ने इस दुर्गम पहाड़ी पर अपना बसेरा बनाया होगा। ज्ञान और मोक्ष प्राप्ति की ओर यहां से सारी दुनिया को एक अद्भुत अहिंसा आधारित धर्म दिया गया। आज इतने विकास के बावजूद इन्हें अन्याय के खिलाफ सड़कों पर सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक जैन समाज की आशंकाओं का समाधान होना चाहिए।
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