International Nutritious Cereal, चंडीगढ़ : विश्व में मोटे अनाज की खपत और पैदावार बढ़ाने को लेकर भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित ‘अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज(मिलेट) वर्ष (आईएमवाई)-2023’ की आज पंजाब में भी शुरुआत की गई। पंजाब के राज्यपाल और केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी पुरोहित ने इस अवसर पर राजभवन में चंडीगढ़ शहर के विशिष्ट लोगों के लिये मिलेट लंच का आयोजन किया जिसमें प्रशासक की नवगठित सलाहकार परिषद के सदस्यों सहित शहर के जाने-माने लोग, नौकरशाह, राजनेता, उद्योगपति, डॉक्टर, शिक्षाविद् आदि ने भाग लिया।
इस अवसर पर मीडिया से बातचीत में पुरोहित ने बताया कि मिलेट को बढ़ावा देना देश के पोषण कार्यक्रमों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। मिलेट ‘स्मार्ट फूड’ हैं क्योंकि इनकी खेती करना आसान है, ये ज्यादातर जैविक हैं और इनमें उच्च पोषण तत्व होते हैं। मिलेट उपभोक्ताओं, किसानों, जलवायु मैत्री और स्वास्थय के लिये अच्छे हैं क्योंकि इनकी पैदावार की लागत कम होने के साथ ही इनकी पैदावार के लिये ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। मिलेट के प्रति जागृति पैदा करना अनिवार्य है। उन्होंने मिलेट को दैनिक आहार में शामिल करने और इसके लाभों के बारे में जागरुकता फैलाने पर जोर दिया।
पुरोहित ने चंडीगढ़ में मिलेट को लोकप्रिय बनाने के लिए उठाये गये कदमों के बारे में बताया कि ज्वार बाजरा को सभी 450 आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए पूरक पोषाहार कार्यक्रम में शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत वर्तमान में बच्चों को मिलेट से तैयार खिचड़ी और दलिया परोसा जा रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नियमित रूप से मिलेट से तैयार व्यंजनों के स्टॉल लगाकर इनके प्रति जागरुकता फैलाने को लेकर विभिन्न समुदायों के सदस्यों को संगठित कर रही हैं। ‘पोषण माह-2022’ के दौरान, मिलेट से तैयार व्यंजनों को प्रदर्शित करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में 200 से अधिक जागरुकता गतिविधियों का आयोजन किया गया। उन्हाेंने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन का सामाजिक कल्याण विभाग पीजीआई, होम साइंस कॉलेज, डायटिशियन, जीएमएस अस्पताल-16, जीएमसी अस्पताल-32 चंडीगढ़ के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि लोगों को उनके दैनिक आहार में मिलेट्स को शामिल करने हेतु जागरूक किया जा सके।
इस उद्देश्य के लिए, विभिन्न होटल प्रबंधन संस्थानों के रसोइयों ने लोगों के सामने मिलेट्स से तैयार व्यंजन पेश किये हैं। राज्यपाल ने कहा कि नियमित आहार में मिलेट के उपयोग सम्बंधी जनता के बीच जागरुकता फैलाने के लिए शहर में मिलेट के उपभोग को बढ़ावा देने के लिए ‘चंडीगढ़ मिलेट मिशन’ शुरू किया गया है और ऐसा करने वाला चंडीगढ़ उत्तर भारत का पहला शहर बन गया है।
इस अभियान के तहत, पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के सहयोग से आंगनबाड़ी केंद्रों के सभी सर्किलों में ज्वार, रागी, कोदो बाजरा, छेना बाजरा जैसे मिलेट से व्यंजन तैयार करने के लिए लाइव किचन सत्र जैसी विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। इसके अलावा इस कार्यक्रम के तहत लाभार्थियों के बीच ई-गोष्ठी, अम्मा/बाबा की रसोई, पाक प्रतियोगिताएं, ई-क्विज के इंटरैक्टिव सत्र भी आयोजित किए जा रहे हैं। राज्यपाल के अनुसार चंडीगढ़ अतिथि गृह में मिलेट थाली और मिलेट स्नैक्स वाले मिलेट मेन्यू की शुरुआत की गई है।
उन्होंने कहा कि मिलेट के उपयोग में वृद्धि से न केवल पोषण की स्थिति में सुधार सुनिश्चित होगा, बल्कि इससे जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी मदद मिलेगी क्योंकि ये परिस्थिति अनुकूल फसलें हैं और जितना समय गेहूं को पकने में लगता है उसके आधे समय में ये तैयार हो जाती हैं, इसके प्रसंस्करण के लिए 40 प्रतिशत कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है, और धान के मुकाबले 70 प्रतिशत कम पानी का उपयोग करती हैं। ये फसलें जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी और सूखे की परिस्थितियों के चलते, ये स्थायी खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए उच्च पोषण गुण के साथ वन-स्टॉप सोल्यूशन प्रदान करती हैं।
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