प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने भारत के अतीत के बारे में अधिक अच्छी तरह से जन-जागरुकता पैदा करने के लिए आधुनिक भारतीय इतिहास पर शोध के दायरे को व्यापक बनाने और इस के लिए संस्थानों की जरूरत पर बल दिया है।
मोदी ने कहा कि महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में भारत के अतीत की अध्ययन सामग्री के बारे में प्रतियोगिताओं का आयोजन करके राजधानी में स्थापित प्रधानमंत्री संग्रहालय को युवाओं में लोकप्रिय बनाने के प्रयास होने चाहिए। वह सोमवार को नेहरू स्मारक संग्रहालय समिति (एनएमएमएस) की सामान्य वार्षिक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
संस्कृति मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार समित के अध्यक्ष के रूप में श्री मोदी ने इस बैठक में स्वामी दयानंद सरस्वती की आगामी 200वीं जयंती के अवसर पर शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थानों से उनके योगदानों के बारे में शोध करने का आह्वान किया।
बयान के मुताबिक प्रधानमंत्री ने व्यक्तियों, संस्थानों और विषयों के संदर्भ में आधुनिक भारतीय इतिहास पर शोध के दायरे को व्यापक बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया, ताकि भारत के अतीत के बारे में लोगों में बेहतर जागरूकता पैदा की जा सके। उन्होंने कह कि ऐसे व्यक्तियों, संस्थानों और विषयों की स्मृतियों के संबंध में अच्छी तरह से जांच-परखे और शोध पर आधारित स्मृति बनाने के लिए सामान्य रूप से कुछ संस्थानों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इससे वर्तमान और भावी पीढ़ियों को फायदा होगा
संग्रहालय के डिजाइन और सामग्री पर संतोष व्यक्त करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस महत्वपूर्ण तथ्य को रेखांकित किया कि यह संग्रहालय वास्तव में वस्तुनिष्ठ और राष्ट्र-केंद्रित है, व्यक्ति-केंद्रित नहीं है, और यह न तो अनुचित प्रभाव से और न ही किसी आवश्यक तथ्यों के अनुचित अभाव से ग्रस्त है।
भारत के सभी प्रधानमंत्रियों की उपलब्धियों और योगदानों को उजागर करने वाले संग्रहालय के संदेश को लोगों तक पहुँचाने के लिए स्थापित इस संग्रहालय के संदेश को लोगों तक पहुंचाने के लिए श्री मोदी ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में इसकी सामग्री के बारे में प्रतियोगिताओं का आयोजन करके युवाओं के बीच संग्रहालय को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि निकट भविष्य में संग्रहालय भारत और दुनिया से दिल्ली आने वाले पर्यटकों के लिए एक केंद्रीय आकर्षण के रूप में उभरेगा।
मोदी ने आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती का उल्लेख करते हुए कहा कि आधुनिक भारत की सबसे प्रभावशाली सामाजिक और सांस्कृतिक हस्तियों में एक स्वामी दयानंद सरस्वती की 2024 में आ रही 200वीं जयंती है का उल्लेख किया। उन्होंने शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थानों से इस उपलक्ष्य में स्वामीजी के योगदान पर अच्छी अच्छी शोध सामग्री तैयार करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने स्वामी दयानंद द्वारा शुरू किया गए आर्य समाज आंदोलन के 150 साल 2025 में पूरे होने का भी उल्लेख किया।
एनएमएमएस की कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने सोसायटी के वर्तमान कामकाज के साथ-साथ भविष्य के लिए दृष्टिकोण की रूपरेखा पर बात की। एनएमएमएस समिति और इसकी कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट और लेखापरीक्षित खातों को मंजूरी दी।
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